जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने स्विस बैंक में जमा भारतीयों के पैसे पर नया आंकड़ा बताया है। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि स्विस बैंक के मुताबिक भारतीयों के लोन और डिपॉजिट में पिछले साल की तुलना में 34.5 फीसदी कमी आई है। पीयूष गोयल ने कहा कि एनडीए के शासनकाल 2013 से लेकर 2017 तक स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 80 फीसदी घटा है।
आपको बता दें कि पिछले दिनों स्विस नैशनल बैंक (SNB) की ओर से जारी एक रिपोर्ट ने विपक्ष को मोदी सरकार पर हमला करने का मौका दिया था। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि स्विस बैंकों में भारतीयों का धन 50 फीसदी बढ़ गया है। इसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए इंडियन नैशनल लोक दल (INLD) के सांसद राम कुमार कश्यप ने राज्यसभा में सवाल पूछा। उन्होंने मोदी सरकार से पूछा कि कार्रवाई के दावों के बावजूद स्विस बैंकों में भारतीयों का जमा कैसे बढ़ गया।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा कि पहले आई रिपोर्टों के मुताबिक 7000 करोड़ रुपये भारतीयों ने स्विस बैंकों में जमा किया था। हालांकि इसमें वो ट्रांजेक्शन भी शमिल थे जो भारतीय बैंकों की शाखा के ज़रिए किए गए हैं और जो भारत की राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखाओं से स्विस बैंक की शाखाओ में ट्रांसफर हुए हैं। गोयल ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने स्विस बैंक से खातों में जमा हुए काले धन के बारे में जानकारी मांगी थी, जिसके मुताबिक स्विस बैंकों में भारतीयों के पैसे में बीते एक साल में 34 फीसदी की कमी आई है।
यूपीए के राज में 770 अरब का कालाधन
इससे पहले यह जानकारी भी सामने आई थी कि 2005-14 के बीच (यूपीए सरकार के 10 साल का कार्यकाल) में कुल 770 अरब का कालाधन भारत में आया था, लेकिन वित्त मंत्रालय ने संसद की गोपनीयता भंग होने की संभावना के चलते इस तरह की रिपोर्ट को जारी करने से साफ इंकार कर दिया था।
कांग्रेस के कार्यकाल में बने थे तीन कमीशन
कांग्रेस सरकार ने 2011 में काला धन का पता लगाने के लिए तीन अलग-अलग संस्थानों से रिपोर्ट तैयार करने को कहा था, जिन्होंने 30 दिसंबर 2013, 18 जुलाई 2014 और 21 अगस्त 2014 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। यह तीन कमीशन दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी, नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च व फरीदाबाद स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट हैं।
केंद्र ने दिया यह तर्क
केंद्र सरकार ने इन तीनों रिपोर्टों को सार्वजनिक करने से पूरी तरह से इंकार कर दिया है। सरकार ने कहा है कि उसने यह रिपोर्ट पिछले साल 21 जुलाई को संसद में वित्त मामलों के लिए बनी स्टैंडिंग कमेटी को सौंप दी थी। अभी यह रिपोर्ट स्टैंडिंग कमेटी के पास विचाराधीन है, जिसके चलते इसके बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं दी जा सकती है।