जनजीवन ब्यूरो / हैदराबाद। मॉरीशस में संपन्न 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा को हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपने अविस्मरणीय योगदान के लिए हिंदी सम्मान से सम्मानित किया। गौरतलब है कि यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा 1918 में स्थापित राष्ट्रीय महत्व की संस्था है। इस संस्था ने हिंदी के माध्यम से भारत की एकता अखंडता और भाषार्इ सद्भावना के विकास में ऐतिहासिक भूमिका निभार्इ है। भारत के चार राज्यों चेन्नर्इ, धारवाड, केरल और हैदराबाद में सभा की प्रमुख शाखाएँ स्थापित हैं। प्रथमा, मध्यमा, विशारद, प्रवीण तक की हिंदी परीक्षाओं से लेकर नियमित रूप से बी.एड., एम.ए, एम.फिल, पीएच.डी, डी.लिट., स्नातकोत्तर अनुवाद और पत्रकारिता के पाठ्यक्रम सभा द्वारा संचालित हैं। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से स्नातक, स्नातकोत्तर डिग्री के अतिरिक्त अनुवाद डिप्लोमा के पाठ्यक्रम भी संचालित हैं।
हिंदी सम्मान प्राप्त करने के उपलक्ष्य में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद में आंध्र एवं तेलंगाना के सचिव एवं संपर्क अधिकारी सी.एस. होसगौडर की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्होंने अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि प्रत्येक हिंदी प्रचारक, हिंदी सेवी, कर्मचारी, कार्यकर्तागण, प्राध्यापकगण के निस्वार्थ सेवा के कारण आज सभा को यह सम्मान प्राप्त हुआ है।
इस संदर्भ में पी.जी. के विभागाध्यक्ष प्रो. मंजुनाथ एन अंबिग ने कहा कि हिंदी सम्मान और अभिमान की भाषा है। इसे प्रत्येक भारतवासी को अपनाना अपना कर्त्तव्य समझना चाहिए। बी.एड. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. के. संगय्या मठ ने कहा कि दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा को विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित करना वास्तव में सभा परिवार के लिए गौरव का विषय है।
विशेष अतिथि ए.वी. कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉ. शशिकांत मिश्र ने हिंदी के प्रति सभा की कर्मठता, निष्ठा को रेखांकित किया। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक शंकर सिंह ठाकुर ने भी अपने विचार व्यक्त किया। डॉ. जी. नीरजा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर पीजी विभाग के डॉ. विजय हिंदूराव पाटील, डॉ. गोरखनाथ तिवारी, डॉ. बलविंदर कौर के अलावा सभा के सभी कर्मचारी और विभिन्न विभागों के प्राध्यापक गण एवं छात्र उपस्थित रहे।