जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। बदलते में लगातार पर्यावरण के दौर में फसलों को मौसम की मार से बचाने के लिए कृषि मंत्रालय ने योजना तैयार कर ली है। किसानों को राहत मुहैया कराने को सरकार ने देश के 151 जिलों में इसके लिए अध्ययन कराया है। इसमें फसलों को सूखा, अति वर्षा, अतिवृष्टि, चक्रवात, भीषण गर्मी और शीतलहर से बचाव के उपाय निकाले गए। अब इन उपायों को मंत्रालय पूरे देश में लागू करने की तैयारी में है। संसद की कृषि परामर्शदाता समिति एक नवंबर को रूपरेखा पर अंतिम बैठक करने जा रही है, जिससे हरी झंडी मिलते ही इसे लागू किया जाएगा।
कृषि मंत्रालय के फसलों को मौसम की मार से बचाने के लिए विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों के विभागों के संयुक्त प्रयासों से बचाने की योजना तैयार है। पर्यावरण में बदलाव के मद्देनजर यह अहम कदम है। कृषि विज्ञान केंद्रों और ग्यारह कृषि तकनीक शोध संस्थानों द्वारा बदलते पर्यावरण से सर्वाधिक प्रभावित देश के 151 जिलों में इसके मद्देनजर अध्ययन कर रूपरेखा तैयार की जा चुकी है। लुधियाना, जोधपुर, कानपुर, पटना, कोलकाता, बारापानी, पुणे, जबलपुर, हैदराबाद और बंगलुरू जैसे शहरों के करीब स्थित ग्रामीण क्षेत्र इस अध्ययन का हिस्सा हैं। कुल 28 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश से इन जिलों का चयन किया गया था, जहां पर बदलते पर्यावरण के प्रभावों जैसे सूखा, अति वर्षा, अतिवृष्टि, चक्रवात, भीषण गर्मी और शीतलहर समेत अन्य से बचाया गया। एजेंडे के मुताबिक फसलों को बचाने के उपायों का प्रशिक्षण किसानों को देश में स्थित 121 कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा मुहैया कराया जाएगा।
मंत्रालय के एजेंडे के मुताबिक चार मॉड्यूल बदलते पर्यावरण से फसलों को बचाने के लिए योजना में शामिल किए गए हैं। इनमें सबसे प्रमुख प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन है जिनमें आर्टिफिशियल ग्राउंड वाटर रिचार्ज, जीरो टिलेज, बाढ़ वाले क्षेत्रों में नालियों को बेहतर किए जाने जैसे उपाय हैं। दूसरा फसल उत्पादन में तापमान के मुताबिक फसल के बचाव के लिए कदम उठाना। इसके लिए कस्टम हायरिंग केंद्रों (किराए पर उपकरण देने वाले) से भी वह सहायता ले सकते हैं। मंत्रालय के मुताबिक रूपरेखा में शामिल दो अन्य मा़ड्यूल में ग्रामीण क्षेत्रों में ब्लॉक स्तर पर मौसम की जानकारी समय से पहुंचाना भी शामिल है, ताकि किसान उनके मुताबिक कदम उठा सकें। जैसे अतिवर्षा से बचाव के लिए नालियों की सफाई और फसलों के बीच में गन्ने की रोपाई डालना।
गौरतलब है कि मंत्रालय एक नवंबर को समिति से बैठक करने के बाद राज्यों के साथ मिलकर फसलों से बचाव की योजना को देशभर में लागू करेगा। किसानों को प्रशिक्षण के साथ प्रोत्साहन भी मुहैया कराया जाएगा।