जनजीवन ब्यूरो / भोपाल । मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद सवाल यह उठ रहा है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाएगी। क्या वो पार्टी का वरिष्ठ चेहरा और तजुर्बेकार कमलनाथ होंगे या ये जिम्मेदारी युवा और राजनीतिक विरासत साथ लेकर चलने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को दी जाएगी। कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। गवर्नर से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि हमलोगों ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है और हमें 121 विधायकों का समर्थन है।
इससे पहले राज्य में बहुमत नहीं मिलने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि वह सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे। उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। उन्होंने राज्यपाल को बताया कि उन्हें बीएसपी और एसपी का समर्थन हासिल है और निर्दलीय विधायक भी उनके साथ हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने बताया कि कमलनाथ दोपहर में एक बजे शिवराज सिंह से मुलाकात करेंगे। शाम 4 बजे कांग्रेस के विधायक दल की बैठक होगी जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी पर्यवेक्षक के रूप में हिस्सा लेंगे। इसके बाद सभी नेता राहुल गांधी से बातचीत करेंगे। उधर, राज्य में अभी भी सीएम का चेहरा तय नहीं होने से पार्टी कार्यकर्ता अधीर होते जा रहे हैं।
राजभवन के बाहर प्रदर्शन करते सिंधिया समर्थक
भोपाल में कमलनाथ और सिंधिया समर्थकों ने जोरदार नारेबाजी की है और रैली भी निकाली। करीब 50 की संख्या में सिंधिया समर्थकों ने राजभवन के बाहर अपने नेता के समर्थन में नारेबाजी की। सिंधिया के समर्थक कमलनाथ के घर के बाहर भी नारेबाजी कर रहे हैं। वह कह रहे हैं, ‘प्रदेश का मुख्यमंत्री कैसा हो, श्रीमंत सिंधिया जैसा हो।’ बता दें कि चुनाव परिणाम आने से पहले ही कमलनाथ समर्थकों ने पोस्टर लगाकर उन्हें अपना सीएम बता दिया था। इसके जवाब में सिंधिया समर्थकों ने भी अपने नेता के पोस्टर लगाए थे।
इस विवाद के बीच माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कमलनाथ को सीएम और ज्योतिरादित्य सिंधिया को डेप्युटी सीएम बना सकते हैं। गौरतलब है कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि उनके विधायक राज्य में कांग्रेस का समर्थन करेंगे। बता दें कि देश का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर के बाद किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। चुनावी नतीजों में कांग्रेस पार्टी को 114, बीजेपी को 109, बीएसपी को 2, समाजवादी पार्टी को 1 सीट तथा 4 निर्दलीय चुनाव जीते हैं।
कमलनाथ
कमलनाथ, छिंदवाड़ा से सांसद हैं। वो नौ बार यहां से चुने गए। कुछ महीने पहले जब अरुण यादव से पार्टी की कमान छीनकर कमलनाथ को दी गई तो इसको लेकर काफी चर्चा हुई। कुछ धड़ों में नाराजगी भी दिखी। लेकिन आज पीछे मुड़कर देखा जाए तो ये पार्टी के लिए खरा सौदा साबित हुआ। कमलनाथ ने पूरे प्रदेश में घूम-घूमकर अलग-अलग तबकों से बात की, मुलाकात की। जहां जरूरत थी वहां लोगों को समझाया। पुराने रिश्ते फिर खंगाले। नए रिश्तों को बनाने की कोशिश की। हालांकि, इन कोशिशों में कुछ वायरल होते वीडियो ने स्पीड ब्रेकर का काम भी किया लेकिन कांग्रेस की गाड़ी धीमे-धीमे ही सही आगे खिसकती रही।
कमलनाथ छिंदवाड़ा से शानदार जीत हासिल करते हुए 34 साल की उम्र में लोकसभा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह पूरी तरह छिंदवाड़ा के हो गए। वह इस सीट से 9 बार जीते, हालांकि 1997 में सिर्फ एक बार उन्हें सुंदरलाल पटवा के हाथों हार मिली।
केंद्रीय मंत्री रहते उन्होंने छिंदवाड़ा में कई काम कराए जिसका प्रतिसाद उन्हें हर बार चुनाव में जीत के रूप में मिला। 2014 में भी उन्होंने तब चुनाव जीता जब कांग्रेस की हालत बेहद बुरी थी और वह महज 44 सीटों पर ही सिमट गई थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्यप्रदेश में इस जीत के बाद ज्योतिरादित्य के तेवर वैसे ही हैं जो एक बड़े मुकाबले में फतह के बाद होते हैं। उन्होंने कहा कि अब वो फूलमाला पहन सकते हैं। दरअसल, सिंधिया ने शपथ ली थी कि जब तक वो भाजपा सरकार को हटा नहीं देते, सिर्फ सूत की माला पहनेंगे।
सिंधिया युवा हैं, उर्जा से भरे हैं। पिता माधवराव सिंधिया की विरासत के साथ आते हैं। इस बार उनके कंधों पर बतौर चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष, एक बड़ी जिम्मेदारी थी। जिस तरह का प्रचार अभियान चलाने में कांग्रेस कामयाब रही, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि सिंधिया ने अपनी जिम्मेदारी बखबूी निभाई। गुना से सांसद, सिंधिया अपनी हर रैली में शिवराज पर मारक हमलों के लिए चर्चित रहे। उन्हें ‘कलियुग का कंस मामा’ कह कर जोरदार हमला किया।
पिता माधवराव सिंधिया की मौत के ढाई महीने बाद, साल 2001 में 17 दिसंबर को ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल हुए थे। तब सिंधिया की उम्र 30 साल के करीब थी। 17 दिसंबर, 2001 को ज्योतिरादित्य अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस मुख्यालय- 24 अकबर रोड पहुंचे थे। धीरे-धीरे वो मध्यप्रदेश में पार्टी का अहम चेहरा बन गए। राजसी ठसक जाते-जाते थोड़ा वक्त जरूर लगा, जो अब भी यदाकदा दिख जाती है लेकिन वो जनता से कुछ हद तक राब्ता कायम करने में कामयाब रहे। उन्हें पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता है।