अमलेंदु भूषण खां
नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन राजनीति में परिवारवाद की सराहना कर चुकी हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव अपने बेटे को राजनीति में लाने के लिए ऐंड़ी चोटी एक किए हुए हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव अपने पुत्रवधु को उत्तराखंड की मुख्यमंत्री बनान के लिए सोचे तो क्या बुराई है। परिवार में कलह की नौबत नहीं आई तो मुलायम की बहू और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिपल यादव 2०17 में उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार होंगी।
दरअसल डिपल उत्तराखंड की ही रहने वाली हैं। मुलायम सिह यादव के परिवार को पता है कि डिपल की राजनीतिक महत्वाकांक्षा लोकसभा सदस्य बनने तक सीमित नहीं है। राजनीति के माहिर मुलायम को इसमें दोहरा फायदा दिख रहा है। उत्तराखंड में आबादी लिहाज से दो जातियों ब्राह्मणों और ठाकुरों का वर्चस्व है। राज्य में इन्हीं दो जातियों के हाथ में सत्ता रहती है। डिपल भी ठाकुर जाति से हैं। माना जाता है कि डिपल अखिलेश की तुलना में ज्यादा मुखर हैं।
हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन विभिन्न दलों के सांसदों को भोज पर बुलाया था। उन सबसे अनौपचारिक बातचीत में अपने प्रदेश और देश के बारे में उनकी परिकल्पना के बारे में पूछा गया। इस बातचीत में डिपल बहुत मुखर थीं। पूरी चर्चा में डिपल सिर्फ अंग्रेजी में बोलती रहीं। यह पता नहीं कि आदत की वजह से या सोच समझकर। क्योंकि वहां मौजूद तेलुगू देशम के नेता स्वर्गीय येरन नायडू के बेटे और तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बेटी कविता रेड्डी जैसे दक्षिण के सांसद शुद्ध हिदी में बोल रहे थे।
मुलायम सिह यादव को लग रहा है कि डिपल को उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने से उन्हें उत्तर प्रदेश में भी फायदा मिल सकता है। दोनों प्रदेशों के विधानसभा चुनाव एक साथ फरवरी-मार्च 2०17 में होना है। उनके लिए मुश्किल यह है कि उनकी छोटी बहू की भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा कम नहीं है। कुछ समय पहले वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्थन में बयान देकर परिवार और पार्टी को चौंका चुकी है। इत्तफाक की बात है कि वह भी उत्तराखंड से है और ठाकुर जाति से हैं। सवाल है कि देवरानी जेठानी आमने सामने आ गईं तो मुलायम सिह किसका पक्ष लेंगे।