जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 जुलाई को बिहार जा रहे हैं जहां वे कई योजनाओं का शुभारंभ करेंगे। जिन योजनाओं का वे शुभारंभ करेंगे उनमें दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना यानि डीडीयूजीजेवाई भी है। पूरे देश के लिए इस योजना की शुरुआत पटना से कर मोदी राज्य के सत्ताधारी दलों को नसीहत और राज्य की जनता को बिहार की अहमियत भी बताएंगे। यह योजना बिहार की जनता के लिए काफी मायने रखती है, न सिर्फ बिजली की उपलब्धता को लेकर बल्कि बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के भूले हुए वादों को याद दिलाने के लिए भी ।
नीतीश ने वर्ष 2012 में बिहार की जनता से वादा किया था कि यदि वह राज्य के सभी गांवों को बिजली उपलब्ध कराने में असफल रहेंगे तो वे जनता से अगले विधानसभा चुनाव में वोट नहीं मांगेगे। न तो गांवों को बिजली मिल रही है और न ही वे चुनाव से दूर हो रहे हैं।
नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव भाजपा के विजय रथ को रोकने का ऐलान काफी पहले कर चुके हैं। लेकिन विधान परिषद चुनाव में गहरी चोट खा चुके हैं। बिहार विधान परिषद चुनाव में राजग को 14 सीटों पर जीत मिली है। इससे भाजपा काफी उत्साहित है और विधानसभा चुनाव में जीत की उम्मीद रख रही है।
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना का लक्ष्य है कि पूरे देश में 24 घंटे बिजली उपलब्ध हो। आवासीय, कृषि और उद्योग क्षेत्रों के लिए अलग अलग बिजली की व्यवस्था होगी। इस योजना पर 44000 करोड़ रुपए की लागत आएगी जिसमें 330453 करोड़ रुपए केंद्र सरकार वहन करेगी। बांकि की राशि राज्य सरकारों को करनी होगी। केंद्र सरकार राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को भी डीडीयूजीजेवाई के तहत पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
बिहार में बिजली की हालत देश के अति पिछड़े राज्यों से भी बदतर है। राज्य सरकार का अपना कोई भी बिजली उत्पादन केंद्र नहीं है। राज्य को या तो केंद्र सरकार के उपक्रम से बिजली आपूर्ति होती है या दूसरे राज्यो से। राज्य सरकार के जो भी उपक्रम है वह काफी पुराने होने के कारण बिजली उत्पादन करने में अक्षम है।
केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल की माने तो बाहर से आपूर्ति होने वाली बिजली का 54 फीसदी हिस्से चोरी किए जाते हैं या फिर बर्वाद हो जाते हैं। ईमानदार लोग बिजली का बिल चोरी और नष्ट होने वाले हिस्से का भी भरते हैं।
राज्य में बिजली की बदतर स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इतने बड़े बिहार राज्य में मात्र 2994 मेगावाट की मांग है। जबकि दिल्ली जैसे छोटे राज्य में 5800 से 6000 मेगावाट की मांग है। बिहार में प्रति व्यक्ति 160 यूनिट प्रति वर्ष है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़े औसतन 1000 यूनिट है।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी राज्य के पिछड़ेपन के लिए बिजली को भी एक कारण बताकर नीतीश कुमार पर निशाना साधेंगे।