जनजीवन ब्यूरो
पटना। गांव गांव तक बिजली की रोशनी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76,000 करोड़ रुपये की लागत वाली दीन दयाल ग्राम ज्योति योजना का आज यहां शुभारंभ किया। इस योजना में केंद्र सरकार 63,000 करोड़ रुपये का योगदान देगी, जिससे बिहार के गांवों में बिजली और पानी की समस्या की स्थिति में सुधार आएगा।
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना का लक्ष्य है कि पूरे देश में 24 घंटे बिजली उपलब्ध हो। आवासीय, कृषि और उद्योग क्षेत्रों के लिए अलग अलग बिजली की व्यवस्था होगी। केंद्र सरकार राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को भी डीडीयूजीजेवाई के तहत पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
बिहार में बिजली की हालत देश के अति पिछड़े राज्यों से भी बदतर है। राज्य सरकार का अपना कोई भी बिजली उत्पादन केंद्र नहीं है। राज्य को या तो केंद्र सरकार के उपक्रम से बिजली आपूर्ति होती है या दूसरे राज्यो से। राज्य सरकार के जो भी उपक्रम है वह काफी पुराने होने के कारण बिजली उत्पादन करने में अक्षम है।
केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल की माने तो बाहर से आपूर्ति होने वाली बिजली का 54 फीसदी हिस्से चोरी किए जाते हैं या फिर बर्वाद हो जाते हैं। ईमानदार लोग बिजली का बिल चोरी और नष्ट होने वाले हिस्से का भी भरते हैं।
राज्य में बिजली की बदतर स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इतने बड़े बिहार राज्य में मात्र 2994 मेगावाट की मांग है। जबकि दिल्ली जैसे छोटे राज्य में 5800 से 6000 मेगावाट की मांग है। बिहार में प्रति व्यक्ति 160 यूनिट प्रति वर्ष है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़े औसतन 1000 यूनिट है।