जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । प्याज, टमाटर सहित खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी से अक्तूबर में खुदरा मूल्य आधारित महंगाई (सीपीआई) के मोर्चे पर तगड़ा झटका लगा है। इस महीने में सीपीआई बढ़कर 4.62 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। जुलाई, 2018 के बाद ऐसा पहली बार है, जब रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 4 फीसदी के मध्यावधि लक्ष्य से ऊपर सीपीआई पहुंची है। वहीं सितंबर, 2019 में यह 3.99 फीसदी और अक्तूबर, 2018 में यह 3.38 फीसदी के स्तर पर रही थी।
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह खाद्य बास्केट में शामिल उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी रही जिसमें अक्तूबर, 2019 में 7.89 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई, जबकि सितंबर, 2019 में यह आंकड़ा 5.11 फीसदी रहा था।
अक्तूबर में सब्जियों की कीमतों में 26 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि पिछले महीने यह आंकड़ा 15.4 फीसदी रहा था। वहीं दालों की कीमतों में 11.72 फीसदी की बढ़त रही, जबकि सितंबर में यह 8.4 फीसदी महंगी हुई थीं। अक्तूबर में अनाज की महंगाई 2.16 फीसदी रही, जबकि सितंबर में यह 1.66 फीसदी रही थी।
महंगाई में भले ही बढ़ोतरी रही हो, लेकिन आईआईपी जैसे मैक्रोइकोनॉमिक डाटा में में कमजोरी से अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेतों के चलते आरबीआई के दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख दरों में कटौती को टालने की उम्मीद कम ही है। आरबीआई वर्तमान कैलेंडर वर्ष में पांच बार में रेपो दर 1.35 फीसदी घटाकर 5.15 फीसदी कर चुका है।
हाल में महाराष्ट्र जैसे प्याज उत्पादक राज्यों से आपूर्ति बाधित होने से इस सब्जी की कीमत कई शहरों में 80 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गई थीं। हालांकि हाल में दिल्ली सहित कई शहरों में जमाखोरों पर हुई छापेमारी के बाद प्याज की कीमतों में कुछ नरमी देखने को मिली है।
इससे पहले सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध, स्थानीय कारोबारियों पर स्टॉक लिमिट लगाने के बाद कीमतों को थामने के लिए इसके आयात का फैसला भी किया था। सरकार ने एक लाख टन प्याज के आयात का फैसला भी लिया है। इस क्रम में एमएमटीसी ने हाल में 4,000 टन प्याज के आयात के लिए निविदाएं भी आमंत्रित की थीं।