जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। सूचना प्रौद्योगिकी व विज्ञान के क्षेत्र में कमजोर हिंदी पकड़ को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार न सिर्फ शिक्षाविदों की मदद लेगी बल्र्कि इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों से सहायता लेगी। भोपाल में 10 से 12 सितंबर तक आयोजित होने वाले विश्व हिंदी सम्मेलन की जानकारी देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि हिन्दी को प्रशासनिक, विज्ञान और सूचना तकनीक को बढ़ावा देने के लिए इस सम्मेलन में मंथन किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में आयोजित होने वाले विश्व हिन्दी सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे जबकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस सम्मेलन का समापन करेंगे। सुषमा ने कहा कि सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रतिनिधियो के भी आने की संभावना है।
सुषमा ने कहा कि 10वां विश्व हिंदी सम्मेलन भाषा केंद्रीत होगा, इसलिए सम्मेलन का विषय हिंदी जगत विस्तार एवं संभावनाएं रखा गया है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में 28 सत्र होंगे जिनमें विदेश नीति में हिंदी, प्रशासन, विज्ञान, सूचना एवं प्रौद्योगिकी में हिंदी के उपयोग एवं विस्तार पर चर्चा होगी। सुषमा ने कहा कि विज्ञान, सूचना एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हिंदी के प्रयोग के लिए काफी काम किया गया है लेकिन आम लोगों तक जानकारी नहीं पहुंच पाई है। सम्मेलन के दौरान इसपर काफी चर्चा होगी।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान विदेशों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयास किया गया था, इस क्षेत्र में जुटे संस्थान अपना अनुभव और परेशानियों को भी सम्मेलन में रखेंगे।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को भाषा को शामिल करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सुषमा ने कहा इसके लिए 129 वोटों की जरूरत होगी, भारत प्रयास कर रहा है। योग को अंतर्राष्ट्रीय दिवस बनाने में मिली सफलता से भारत का हौंसला बढ़ा है और आशा की जा रही है कि संयुक्त राष्ट्र में भी सफल हो जाएगा।
सुषमा ने कहा कि फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन आओ अच्छी हिंदी बोले विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगे।
सुषमा ने कहा कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आज सुबह बातचीत हुई है और उन्होंने भाग लेने पर सहमति जताई है।
27 देशों से आने वाले प्रतिनिधियों के लिए पत्रकार राजेंद्र माथुर, रामधारी सिंह दिनकर, माखनलाल चतुर्वेदी समेत कई साहित्यकार व पत्रकारों के नाम से परिसर बनाए जाएंगे।
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