जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुई मारपीट पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्रों ने लेफ्ट संगठनों को मारपीट का जिम्मेदार ठहराया है। सोमवार को जेएनयू में पढ़नेवाले कुछ छात्र मीडिया के सामने आए। ये एबीवीपी के सदस्य थे। उन्होंने लेफ्ट संगठनों पर मारपीट के आरोप लगाए।
सभी कॉमेंट्स देखैंअपना कॉमेंट लिखेंछात्र ने कहा कि लड़ाई विंटर सेशन के लिए रजिस्ट्रेशन को लेकर थी। छात्र के मुताबिक, पीस मार्च के बहाने 700 लोग (लेफ्ट संगठनों के) एकत्रित हो गए थे और उन्होंने ही सर्वर रूम को नुकसान पहुंचाया ताकि रजिस्ट्रेशन बाधित हो जाए।
‘नाम ले लेकर ढूंढ रहे थे’
शख्स ने कहा कि करीब 700 लोगों ने मिलकर उन 20 लोगों पर हमला किया था। छात्र के मुताबिक, वे पेरियार हॉस्टल में छिप गए थे, तब वहां उनपर पत्थर फेंके गए। शख्स ने कहा, ‘हमें नाम ले लेकर ढूंढ रहे थे। उस ग्रुप में आईसा के सतीश चंद्र यादव सबसे आगे थे। मेरे साथ कुछ लड़कियां भी थीं। उनको ऐसी-ऐसी जगहों पर मारा गया कि बता भी नहीं सकतीं।’
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में रविवार शाम बड़ी हिंसा हुई। लाठी-डंडे, हॉकी स्टिक से लैस नकाबपोश हमलावरों ने यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स और टीचरों को बेरहमी से पीटा। जेएनयू में हुई हिंसा में छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत 30 से ज्यादा छात्र और टीचर गंभीर रूप से घायल हुए, जिन्हें एम्स और सफदरजंग में भर्ती कराया गया। फिलहाल अब सब डिस्चार्ज हो गए हैं। अब पुलिस ने भी मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। कुछ लोगों की पहचान होने की भी बात कही जा रही है।
जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर राजनीति गरमा गई है और भाजपा के सहयोगी ही कुलपति को हटाने की मांग कर रहे हैं। भाजपा के सहयोगी दल जदयू ने सोमवार को जेएनयू के कुलपति को हटाने की। साथ ही रविवार रात को हुई हिंसा के मामले में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की।
जदयू प्रवक्ता के सी त्यागी ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी जेएनयू परिसर में गुंडा तत्वों की हिंसक गतिविधियों की कड़ी निंदा करती है और नकाबपोश बाहरी तत्वों ने जिस तरीके से जेएनयू छात्र संघ के निर्वाचित पदाधिकारियों पर हमला किया, उसकी समाज के सभी वर्गों को निंदा करनी चाहिए।
त्यागी ने जेएनयू के छात्रों के साथ अपनी पार्टी की एकजुटता जाहिर करते हुए कहा कि हम विश्वविद्यालय के कुलपति और अन्य अधिकारियों के रवैये की कड़ी निंदा करते हैं जो इन गुंडों के गंदे खेल के मूक दर्शक बन गये हैं। पुलिस अफसर भी अपनी जिम्मेदारी अदा करने में नाकाम रहे।
उन्होंने कहा कि जदयू उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच और निष्पक्ष मुकदमे की मांग करती है। कुलपति और अन्य शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों को उनके पदों से हटाया जाना चाहिए।
त्यागी ने कहा कि जेएनयू को बहस, संवाद और वैचारिक मतभेदों के लिए जाना जाता है। ऐसी घटनाओं के लिए कभी नहीं।
जदयू की ये मांग इस मायने में अहम है कि वह बिहार में भाजपा की सहयोगी है। राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और अकसर किसी न किसी बात पर दोनों दलों के बीच मतभेद नजर आ ही जाते हैं।