जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : चार बूंद जिंदगी के लिए की कवायद को WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन परख रहा है. यदि WHO के पैमाने पर यह खरा उतरता है तो भारत पूरी दुनिया में छा जाएगा. इन चार बूंदों से कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी समाप्त हो जाएगी . सबसे खासबात यह है कि ये चार बूंद मुंह में नहीं नाक में डाले जाएंगे. यानी नाक से वैक्सीन. वह भी सिंगल डोज.
भारत में तीसरी लहर को लेकर कवायद जारी है. माना जा रहा है कि कोरोना की अगली लहर बच्चों को निशाना बना सकती है. वर्तमान में दुनिया में 12 साल से कम उम्र के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है. बता दें कि भारत में तो 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए किसी भी वैक्सीन को हरी झंडी नहीं मिली है.
इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि कोराना की नेज़ल वैक्सीन (Nasal Corona Vaccine) बच्चों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है. कहा जाता है कि इंजेक्शन वाली वैक्सीन के मुकाबले यह ज्यादा असरदार है. साथ ही इसे लेना भी आसान है. इसका ट्रायल भारत बायोटेक कर रही है.
सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार ज्यादा से ज्यादा स्कूल टीचर को वैक्सीन लगाने की जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों को तभी स्कूल भेजना चाहिए जब कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा कम हो. उनका कहना है कि भारत में बनी नेज़ल वैक्सीन बच्चों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है. इसे बच्चों में लगाना आसान होगा. साथ ही ये रेस्पिरेटरी ट्रैक में इम्यूनिटी बढ़ायेगी.
भारत बायोटेक के वैज्ञानिक इस पर शोध पर काम कर रहे हैं और यह आखिरी चरण में है. नेजल वैक्सीन अगर सफल हो जाती है तो यह हमारे लिए एक ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 के अधिकांश मामलों में यह पाया गया है कि कोरोना वायरस म्यूकोसा के माध्यम से शरीर मे प्रवेश करता है और म्यूकोसल मेमब्रेन में मौजूद कोशिकाओं और अणुओं को इन्फेक्टेड करता है. अगर हम नाक के माध्यम से वैक्सीन देंगे तो यह काफी प्रभावी हो सकती है. इसीलिए दुनिया भर में नेजल यानी नाक के जरिए भी इस वैक्सीन को देने के विकल्प के बारे में सोचा जा रहा है.