युवाओं और बच्चों को तंबाकू के खतरे से बचाने के लिए कॉटपा एक्ट की कमियों को दूर करें- श्वेता शालिनी, भाजपा प्रवक्ता, महाराष्ट्र
तंबाकू सेवन पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता और गर्भ में पल रहे बच्चे के जीवन की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है – डॉ. अर्चना धवन बजाज, मशहूर फर्टिलिटी विशेषज्ञ
लावण्या झा / नई दिल्ली : तंबाकू नियंत्रण कानून के तहत तंबाकू सेवन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में अब समय आ गया है कि धूम्रपान की छूट देने वाले स्मोकिंग जोन (designated smoking areas डीएसए) और दुकानों और गुमटी आदि (Point of Sale) पर तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों की छूट को खत्म कर विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सरकार के कदमों की सराहना करते हुए शुक्रवार को सर्वसम्मति से तंबाकू-नियंत्रण कानून को सख्त बनाने की मांग की।
देश में हर साल 13 लाख से ज्यादा लोग इस घातक उत्पाद के इस्तेमाल की वजह से मौत के शिकार होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कॉटपा) संशोधन विधेयक न सिर्फ लाखों लोगों की जान बचाने में मददगार होगा, बल्कि यह देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ भी कम करेगा।
कैंसर विशेषज्ञ तथा आईसीएमआर-राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम और शोध संस्थान (ICMR-National Institute of Cancer Prevention and Research) की निदेशक डॉ. शालिनी सिंह, महाराष्ट्र भाजपा की प्रवक्ता श्वेता शालिनी और फर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. अर्चना धवन बजाज ने कहा, “कॉटपा (COTPA) कानून में खामियां एक मौन स्वीकृति की तरह हैं। यह तंबाकू सेवन पर अंकुश लगाने की बजाय एक तरह से उसकी अनुमति देता है। इससे धूम्रपान करने वालों और युवाओं में संदेश जाता है कि तंबाकू सेवन ठीक है, वे अपनी इस आदत को जारी रखें।”
नागरिक समूह “तंबाकू मुक्त भारत (Tobacco Free India)” की ओर से शुक्रवार को आयोजित एक वेबिनार में डॉ. शालिनी सिंह ने तंबाकू के इस्तेमाल से होने वाले कैंसर और अन्य बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस दौरान उन्होंने इस बात से अवगत कराया कि तंबाकू उद्योग अब ‘सिंथेटिक निकोटीन’ के माध्यम से युवाओं को जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा है। यह निकोटीन की तरह ही हानिकारक और नशे की लत है, लेकिन यह मौजूदा कानूनों के दायरे में नहीं आता। पैसिव स्मोकिंग की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए डॉ. शालिनी सिंह ने कहा, “कई देश अब तंबाकू सेवन को खत्म करने की रणनीति की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने सड़कों, समुद्र तटों और खुले पार्कों में भी तंबाकू सेवन पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। जबकि हमारे देश में होटलों और रेस्तराओं जैसी बंद जगहों पर स्मोकिंग जोन की अनुमति है। यह धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों के स्वास्थय के लिए बड़ा खतरा है। हमें इस पर तत्काल प्रतिबंध लगाना होगा।”
यह देखते हुए कि भारत में प्रति वर्ष 13 लाख से अधिक लोग इस घातक उत्पाद के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं, युवा भाजपा नेता श्वेता शालिनी ने तंबाकू के खतरे से लड़ने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता और इसकी जरूरत पर विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने कहा, “अगर हम भारत को विश्व गुरू बनाना चाहते हैं तो हमारे युवा स्वस्थ होने चाहिए। लेकिन मुझे लगता है कि एक मजबूत लॉबी विश्व गुरू बनने के सरकार के सपने के खिलाफ काम कर रही है। अगर हमारे युवाओं और बच्चों की सेहत खराब है तो भारत कभी विश्व गुरु नहीं बन सकता है।”
तंबाकू सेवन के लिहाज से भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। भारतीय राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 में तंबाकू नियंत्रण को व्यापक रूप से शामिल किया गया है। इस नीति में वर्ष 2009-10 की तुलना से वर्ष 2025 तक तंबाकू सेवन में 30 प्रतिशत तक की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अच्छा है कि कई सार्वजनिक जगहों और कार्यस्थलों पर धूम्रपान पूरी तरह से प्रतिबंधित है। हालांकि, हवाई अड्डों, 30 या अधिक कमरों वाले होटलों और 30 या इससे अधिक लोगों के बैठने की क्षमता वाले रेस्तराओं में धूम्रपान वाले क्षेत्र या स्मोकिंग जोन बनाने की अनुमति कानून में दी गई है। श्वेता शालिनी ने कहा कि इस खामी को दूर करने की जरूरत है।
जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना धवन बजाज ने तंबाकू सेवन की वजह से देश में संतान उत्पत्ति संबंधी परेशानियों की बढ़ती समस्या पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने आगाह करते हुए कहा, “विवाहित जोड़ों में नपुंसकता या ऐसी समस्या तेजी से बढ़ रही है। धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। इसकी वजह से गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे के जीवन की गुणवत्ता खतरे में पड़ सकती है। वह अस्वस्थ हो सकता है, गर्भपात हो सकता है और गर्भ में बच्चे की मौत भी हो सकती है।” उन्होंने विस्तारपूर्वक इस बारे में बताते हुए कहा, “अगर कोई महिला नियमित धूम्रपान करती है तो उसकी प्रजनन क्षमता पर इसका दोहरा प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान की वजह से उसके अंडे और गर्भाशय दोनों को नुकसान पहुंच सकता है। यह न केवल उसके अंडे की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि एंडोमेट्रियल (अन्तर्गभाशयकला) पर भी प्रभाव डाल सकता है। जहां तक पुरुषों की बात है, तो आम तौर पर सिगरेट पीने की वजह से शुक्राणु की गतिशीलता प्रभावित होती है। ज्यादा धूम्रपान से पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है और उन्हें अन्य प्रजनन समस्याएं हो सकती हैं।”
बंद (इनडोर) सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर पूर्ण प्रतिबंध पुरुषों और महिलाओं को पैसिव स्मोकिंग के खतरे से बचाएगा। साथ ही धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान छोड़ने और युवाओं के धूम्रपान को कम करने में मदद करेगा। बेहतर भारत बनाने के लिए स्वस्थ मां-बाप और स्वस्थ बच्चे हों। युवाओं को निशाना बनाने वाली इन साजिशों को समाप्त करने के लिए कॉटपा (COTPA) एक्ट को सख्त बनाने का समय आ गया है।
वेबिनार में शामिल वक्ताओं ने सर्वसम्मति से इस बात पर जोर दिया कि तंबाकू सेवन को नियंत्रित करने के लिए जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए नीति निर्माताओं, चिकित्सा बिरादरी और सामाजिक संगठनों को एक साथ आने की आवश्यकता है। साथ ही, ऐसी रणनीति बनाने की भी जरूरत है जिससे तंबाकू के उत्पादन में कटौती हो सके, तंबाकू उत्पादों पर ज्यादा टैक्स लगाया जा सके और कॉटपा (COTPA) एक्ट में संशोधन कर उसकी खामियों को दूर किया जा सके। इसके अलावा, तंबाकू सेवन छोड़ने में मदद करने वाले निवारण केंद्रों की अधिक से अधिक स्थापना की रणनीति भी बनानी होगी।