जनजीवन ब्यूरो / कानपुर : यूपी के उन्नाव जिले के बांगरमऊ क्षेत्र में एचआईवी पीड़ितों से लोग दूरियां बनाने लगे हैं। बांगरमऊ तहसील इलाके के एक गांव में संचालित प्राथमिक विद्यालय में सात साल की बच्ची को अलग बैठाया जा रहा है। पूछने पर बच्ची ने मासूमियत से बताया कि साथी कहते हैं कि उसे कोई बीमारी है।
बांगरमऊ कस्बे के मोहल्ला प्रेमगंज व तहसील इलाके के गांव चकमीरापुर, किरविदियापुर में जनवरी माह में एचआईवी के 38 मामले सामने आए हैं। इनमें 6 बच्चे भी शामिल हैं। एचआईवी पीड़ित बच्चे गांव के ही स्कूलों में पढ़ाई करते हैं। एक साथ बड़ी संख्या में मामले सामने आने पर रोगियों की पहचान आम हो गई है। गांव में शिक्षा का स्तर नीचे है। लोगों को एचआईवी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। अधिकतर लोग इसे छूत की बीमारी मानते हैं। इनका मानना है कि एचआईवी पीड़ित के छूने से भी यह बीमारी उन्हें लग सकती है।
एचआईवी पीड़ितों से भेदभाव न हो सके, इसके लिए प्रशासन को मजबूत कदम उठाने होंगे। लोगों को जागरूक करने के साथ ही बीमारी से जुड़ी प्रत्येक पहलू की जानकारी के लिए कैंप लगाने होंगे। इससे लोगों को पता चल सकेगा कि यह बीमारी साथ बैठने, खाना खाने या घूमने फिरने से नहीं होती है।
चकमीरापुर, किरमिदियापुर के एचआईवी पीड़ितों के परिवार की आर्थिक स्थित ठीक नहीं है। एचआईवी की चपेट में आई 60 वर्षीय महिला ने बताया कि उसके पास कानपुर तक जाने के पैसे नहीं है। डाक्टर ने दवा के साथ पौष्टिक चीजें खाने की सलाह दी है। महिला ने बताया कि दो वक्त की रोटी मुश्किल से नसीब होती है, ऐसे में इलाज मुश्किल हो रहा है।
आईसीटी (एकीकृत परामर्श केंद्र ) हसनगंज के काउंसलर अल्ताफ ने बताया कि एचआईवी की पुष्टि के बाद मरीज को कानपुर एआरटी सेंटर भेज दिया जाता है। एआरटी सेंटर से मरीज को सबसे पहले 15 दिन की दवा दी जाती है। दवाएं टीबी रोग की तरह हार्ड होती हैं। ऐसे में दवाएं खाने से उलझन, पसीना आने व खाना अच्छा न लगने की समस्या आती है। यह शिकायतें एक सप्ताह से दस दिन तक होती हैं। ऐसे में मरीज को दवाएं खाना बंद नहीं करना चाहिए। दवाओं के साथ पौष्टिक आहार भी लिया जाए। मरीज बाहर की चीजों का सेवन न करें। उबला पानी पिएं।
एचआईवी के नोडल अधिकारी डा. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि मरीज को एआरटी सेंटर कानपुर तक आने जाने के लिए शासन प्रत्येक माह सौ रुपये देगा। उन्होंने बताया कि यह आर्थिक मदद यात्रा भत्ते के रूप में दी जाएगी। मरीज के खाते में रुपये भेजे जाते हैं।