जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । KYC के नाम पर पूरी जानकारी व अनजान कॉल कर आम लोगों के बैंक से पैसे निकालने की घटना जितनी रफ्तार से देश में बढ़ी है उससे भोली भाली जनता परेशान हैं। इसलिए केंद्र सरकार ऐसे जालसाजों के खिलाफ कारगर कानून बनाने जा रही है। केंद्रीय दूरसंचार व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि नए कानून के लागू हो जाने के बाद मोबाइल काल करने वाले का नाम भी दिखेगा। फिलहाल सिर्फ मोबाइल नंबर दिखता है। ऐसे जालसाजों को कड़ी सजा देने का प्रावधान भी नए कानून में किया जा रहा है।
दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को कहा कि नया दूरसंचार विधेयक छह से दस महीने के भीतर लाया जा सकता है लेकिन सरकार किसी जल्दबाजी में नहीं है।
अंतिम रूप से विधेयक के क्रियान्वयन की समयसीमा के बारे में पूछने पर वैष्णव ने कहा, ‘‘विचार विमर्श की प्रक्रिया के बाद अंतिम मसौदा तैयार करेंगे जो संबंधित संसदीय समिति के समक्ष जाएगा जिसके बाद इसे संसद में लाया जाएगा। मेरे खयाल से इसमें छह से दस महीने का वक्त लगेगा लेकिन हम किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं।’’
दूरसंचार विभाग ने मसौदा विधेयक के लिए 20 अक्टूबर की समयसीमा तय की है। यह विधेयक तीन कानूनों: भारतीय तार अधिनियम 1885, भारतीय बेतार तार यांत्रिकी अधिनियम 1933 और तार यंत्र संबंधी (विधि विरुद्ध कब्जा) अधिनियम 1950 का स्थान लेगा।
उन्होंने कहा कि अगले डेढ़ से दो साल में सरकार पूरे डिजिटल नियामक ढांचे को नया रूप देगी। इसका मकसद सामाजिक उद्देश्यों, व्यक्तियों के कर्तव्य और अधिकार, प्रौद्योगिकी ढांचे आदि के बीच संतुलन कायम करना है।
वैष्णव ने कहा, ‘‘उद्योग विभिन्न चरणों से होकर गुजरता है। कभी कारोबारी वातावरण, प्रौद्योगिकी बदलाव और विभिन्न अन्य कारकों के चलते। इसलिए पुनर्गठन की जरूरत होती है। इसे विधेयक में कैसे शामिल करें, ताकि उद्योग को एक बेहद स्पष्ट रास्ता मिल सके?”
उन्होंने कहा, ‘‘पुनर्गठन के लिए इन बातों का ध्यान रखना होगा। ये वो बातें हैं, जो मेरा अधिकार हैं। इसलिए विधेयक में इस तरह की स्पष्ट रूपरेखा दी गई है।’’
उन्होंने कहा कि डिजिटल दुनिया को व्यापक कानूनों की जरूरत है और प्रधानमंत्री ने दूरसंचार मंत्रालय को लक्ष्य दिया है कि भारत के डिजिटल कानून के नियामकीय ढांचे को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जाए।
मंत्री ने कहा, ‘‘इसका मतलब यह नहीं है कि हम बस घूमते हैं और दुनिया में जो कुछ भी सबसे अच्छा है, उसकी नकल करते हैं। इसका मतलब है कि हमने एक डिजिटल कानूनी ढांचा बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए दुनिया को अध्ययन करना चाहिए। यह एक बहुत बड़ा लक्ष्य तो है, लेकिन यह संभव है।’’
दूरसंचार विधेयक-2022 के मसौदे के अनुसार व्हॉट्सएप, जूम और गूगल डुओ जैसे ‘ओवर-द-टॉप’ ऐप, जो कॉलिंग और मैसेजिंग सेवाएं देते हैं, उन्हें देश में काम करने के लिए लाइसेंस की जरूरत हो सकती है।