जनजीवन ब्यूरो / लखनऊ । उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा का पहला सत्र आज विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच शुरू हुआ। शोरशराबे के बीच जैसे-तैसे अभिभाषण पढऩे वाले राज्यपाल राम नाईक की ओर विपक्षी सदस्यों ने कागज के गोले उछाले और सपा के सदस्यों ने सीटियां बजाई। लगभग 36 मिनट तक चले हंगामे के दौरान पूरा विपक्ष एक नजर आया। सरकार विरोधी नारे लिखे बैनर लहराते हुए सपा के साथ बसपा व कांग्रेस सदस्यों ने भी नारेबाजी की परंतु राज्यपाल राम नाईक ने अपना अभिभाषण पूरा पढ़ा। उन्हें नाईक से दूर रखने के लिये सुरक्षाकर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में पूरे समय राज्यपाल पर कागज के गोलों की बौछार होती रही जिनसे बचाव करने में मार्शल को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
गोलों से बचाव करने के लिए मार्शल तख्तियों का सहारा ले रहे थे। तख्ती से इस तरह बचाव कर रहे थे, जैसे टेबल टेनिस मैच चल रहा हो। कागज उछाल रहे सपा के सदस्य मेजों पर चढ़ गए। हंगामे व धक्कामुक्की में कांग्रेस सदस्य भी शामिल हो गए जबकि बसपाई अपनी सीट पर खड़े होकर बैनर लहराते हुए नारेबाजी करते रहे। सपा के इरफान सोलंकी व कई सदस्यों ने फाइलें भी फेंकी, राजेंद्र चौधरी, बलराम व संग्राम सिंह जैसे वरिष्ठ सदस्य भी गोले फेंकते हुए दिखे।
दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में सपा के सदस्य लाल टोपी लगाकर पूर्वाह्न दस बजे ही आकर बैठ गए ताकि बसपा व कांग्रेस को आगे बैठने का मौका नहीं मिल सके। विधानभवन के भीतर नजारा काफी बदला दिख रहा था। राज्यपाल की अगवानी के लिए लाल कॉरपेट बिछा था और बिगुल भी बजाया गया। राज्यपाल रामनाईक जैसे ही 11 बजे मंडप में पहुंचे, विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया लेकिन, राष्ट्रगान की धुन कानों में पड़ते ही शोरगुल शांत हुआ।
राष्ट्रगान पूरा होते ही सपा, बसपा व कांग्रेस सदस्यों ने छिपाकर लाए बैनर लहराना शुरू कर दिए। राज्यपाल वापस जाओ जैसे नारों के साथ सरकार विरोधी नारेबाजी शुरू हो गई। सपा सदस्यों ने लाल टोपी के ऊपर सरकार विरोधी नारे लिखी काली टोपियां लगा लीं और कई ने सीटियां बजानी शुरू कर दीं। सदन में पहली बार सीटियों की आवाज सुनकर सब चौंके।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने शांत होकर अभिभाषण सुनने का आग्रह किया जरूर लेकिन, विपक्ष ने उसे अनसुना कर दिया। नारों के बीच कागजों के गोले बनाकर राज्यपाल की ओर उछालना शुरू कर दिया जिनसे राज्यपाल को बचाने के लिए मार्शल को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
हंगामे में अखिलेश यादव मुस्कुराते दिखे जबकि उनके पीछे की कतार में बैठे शिवपाल यादव शांत नजर आए। दोनों के बीच में तनातनी साफ दिखी। न अखिलेश ने उनकी ओर देखा और न शिवपाल ने कोशिश की। शिवपाल को एक सदस्य ने लाल टोपी दी तो उन्होंने पहनी। सपा के आजम खां और बसपा के बागी नसीमुद्दीन सिद्दीकी की गैरहाजिरी चर्चा में रही।