अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । उच्च रक्तचाप आज के आधुनिक युग की जीवन शैली की देन है। एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक 3 व्यक्तियों में एक व्यक्ति इस रोग से ग्रस्त हैं और वर्तमान युग में 20 से 40 % व्यक्ति शहरों में और 12 से 17 % व्यक्ति ग्रामीण क्षेत्रो मे इस रोग के षिकार है। ये रोग लगातार बढ़ रहा है और महामारी का रुप धारण कर सकता है। वैज्ञानिकों का अनुमार है कि साल 2020 तक एक तिहाई आबादी इस रोग से ग्रस्त हो सकती है। वही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हार्ट केअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया एवं एरिस लाइफसाइंसेज के सहयोग से, एक शैक्षिक ग्रांट के रूप में, बहुत बड़े स्तर पर एक ही दिन में, चिकित्सा समुदाय की अधिकतम एम्बुलेटरी ब्लड पे्रशर रीडिंग्स लेने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इस अभियान के तहत, आईएमए के नेतृत्व वाले 33 भारतीय शहरों में 533 चिकित्सकों की करीब 20,000 रीडिंग्स एकत्रित की गयीं।
सामान्यतः उच्च रक्तचाप रोगी में कोई लक्षण उत्पन्न नही करता है ओर मूक रुप से उसपर आघात करता है। रोगी डॉक्टर को इस रोग की जटिलताओं के ईलाज के लिए ही सम्पर्क करते है। उच्च रक्तचाप की जटिलताएं हैं हार्ट-अटैक, पक्षाघात, गुर्दे फेल होना और आँख के पर्दे की गम्भीर बीमारी। इसलिए सामान्य जनसाधारण में ये संदेश जाना आवशयक है कि बिना लक्षणों केभी समय-समय पर रक्तचाप ही जाँच करवाना लाभकारी है। ये भारत जैसे देश मे और भी आवश्यक है जहाँ लोग अनिवार्य रुप से किसी चिकित्सा सेवा से पंजीकृत न होने की स्थिति मे अपनी जाँच नही करातें।
नेशनल मेडिकल फोरम के अध्यक्ष प्रेम अग्रवाल ने कहा कि उच्च रक्तचाप विश्व भर मे प्रथम श्रेणी का घातक रोग है। इस दृष्टि से इस महत्वपूर्ण रोग की ओर जनसाधारण का ध्यान आकर्षित करने के लिए नेशनल मेडिकल फोरम ने राष्ट्रीय उच्च रक्तचाप जाँच शोध कार्यक्रम चलाने का आवाहन किया है।
इस कार्यक्रम मे 1000 से अधिक चिकित्सक व चिकित्सा संस्थान भाग ले रहें है तथा 215 स्थानों पर चिकित्सकों को नगर संयोंजक का उतरदायित्व दिया गया है।
ये कार्यक्रम 17 मई से 17 जून तक चलाया जाएगा जिसमे इसमे भाग लेने वाले डाक्टर एक महीने तक सामान्य लोगों का रक्तचाप मापेंगे और उसे निर्धारित प्रारुप मे कार्यक्रम के समापन के बाद भेज देंगे।
डा के. के. कोहली सचिव नेशनल मेडिकल फोरम ने इस अवसर पर कहा कि इस कार्यक्रम के द्वारा हम संयुक्त राष्ट्र के साल 2025 तक अनियंत्रत रक्तचाप की दर को 25 फीसदी कम करने के लक्ष्य को हासिल करने मे सहायता प्रदान करेंगे।
उच्च रक्तचाप विष्व भर मे एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है और मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। उच्च रक्तचाप से ग्रस्त व्यक्तियों में हार्ट अटैक की संभावना दोगुनी व पक्षाघात की संभावना सामान्य व्यक्तिों की अपेक्षा चार गुनी होती है। इस स्वास्थ्य समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रति वर्ष 17 मई को विश्व उच्च रक्त चाप दिवस मनाया जाता है।
उच्च रक्तचाप दिल की बीमारियों से ग्रसित रोगियों मे 20-50ः मे मृत्यु का कारण होता है। उच्च रक्तचाप से ग्रसित लोगों में केवल आधे लोगो को अपने रोग के बारे मे जानकारी है। इनमे से केवल आधे ही अपना ईलाज कराते हैं। ईलाज कराने वालों मे केवल आधे व्यक्तियांे का रक्तचाप समुचित रुप से निर्धारित सीमाओ मे पाया जाता है।
भारत मे शहरी इलाकों मे प्रति 1000 पुरुष मे 59.9 और प्रति 1000 महिलाओ मे 69.9 की दर से उच्च रक्तचाप पाया जाता है और ग्रामीण इलाको मे ये दर 35.5 और 35-9 प्रति 1000 व्यक्ति पाई जाती है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल तथा आईएमए के मानद महासचिव डॉ. आर एन टंडन ने बताया, ‘चिकित्सकों का एम्बुलेटरी ब्ल्ड प्रेशर मापने के लिए एचसीएफआई एवं एरिस लाइफसाइंसेस के सहयोग से कराये गये आईएमए राष्ट्रीय अध्ययन में यह पाया गया कि 21 प्रतिशत चिकित्सकों में मास्क्ड हाइपरटेंशन या अलग तरह का एम्बुलेटरी हाइपरटेंशन मौजूद है। सरल शब्दों में, पारम्परिक तकनीक से मापने पर उनका बीपी सामान्य रहा, जबकि एबीपीएम तकनीक से मापने पर बीपी उच्च स्तर पर मिला। मास्क्ड हाइपरटेंशन का संबंध निरंतर और लंबे समय तक रहने वाले हाइपरटेंशन एवं कार्डियोवास्कुलर समस्याओं से है। इसके साथ ही, 56 प्रतिशत डाॅक्टरों रात के समय अनियमित बीपी पैटर्न देखने को मिला, जोकि भविष्य में उन्हें दिल के दौरे की ओर ले जा सकता है। करीब 37 प्रतिशत डाॅक्टरों में रात्रिकालीन उच्च रक्तचाप पाया गया, जिसे सामान्य बीपी तकनीक से पकड़ पाना संभव नहीं है। पचास फीसदी से अधिक डाॅक्टरों में अनियमित उच्च रक्तचाप की शिकायत मिली, जबकि इसे रोकने के लिए वे दवाएं भी ले रहे थे।’
सभी तरह की कार्डियोवास्कुलर समस्याएं पता करने के लिए दिन व रात के समय का ब्लड प्रेशर चैक करना जरूरी होता है। यह एक तथ्य है कि नींद के समय किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर मापने से उसकी संभावित मृत्यु के सभी संभव कारक पता किये जा सकते हैं, जो कि जागते समय लिए गये बीपी से अधिक सटीक होते हैं। हाइपरटेंशन को पकड़ने के लिए एम्बुलेटरी ब्लड प्रेशर माॅनीटरिंग तकनीक दुनिया भर में सोने जैसी खरी मानी जाती है। यह किसी मरीज के 24 घंटे के बीपी पर निरंतर निगाह रखती है और इससे मास्क्ड हाइपरटेंशन पकड़ने में सहूलियत होती है, जोकि वस्तुतः एक ऐसी दशा होती है जब एक मरीज के बीपी की रीडिंग किसी खास माहौल के कारण सही से नहीं मिल पाती है।
हाइपरटेंशन सोसाइटी आॅफ इंडिया के अध्यक्ष, डाॅ. शशांक जोशी का मानना है, ‘आपका डाॅक्टर निम्न वजहों से आपको एबीपीएम की सलाह दे सकता हैः यह पता करने के लिए कि क्या घर की तुलना में क्लीनिक में आपका बीपी अधिक रहता है, ब्लड प्रेशर नियंत्रण रखने वाली दवाओं का पूरे दिन में होने वाला असर जानने के लिए, अथवा यह जानने के लिए कि क्या रात में आपका रक्तचाप बढ़ जाता है। चंूकि, मास्क्ड हाइपरटेंशन के स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते इसलिए डाॅक्टर को यह जान लेने देना चाहिए कि आपके परिवार में पहले से किसी को ऐसी कोई शिकायत तो नहीं रही है। उच्च रक्तचाप को लेकर जागरूकता पैदा करने की इस पहल के लिए मैं आईएमए, एचसीएफआई और एरिस को बधाई देता हूं। हमारे देश में जहां हर तीन में से एक व्यक्ति हाई बीपी का शिकार है, इसका समय पर पता चल पाना और तत्काल इलाज शुरू होना बहुत मायने रखता है।’
एबीपीएम तकनीक में एक छोटी सी डिजिटल ब्लड पे्रशर मशीन बैल्ट के पास फिट कर दी जाती है। फिर इसे बांह के ऊपरी हिस्से में लगे एक कफ से जोड़ दिया जाता है। इससे कोई असुविधा नहीं होती है, क्योंकि यह आकार में बहुत ही छोटा सा उपकरण होता है और आप रोजमर्रा की तरह अपना काम कर सकते हैं। यह मशीन 24 घंटे में कुछ-कुछ समय बाद आपका बीपी मापती रहती है। आम तौर पर, हर 15 या 30 मिनट के बाद दिन में और 30 से 60 मिनट के अंतराल पर रात्रि में।
ताजे फलों, सब्जियों, ऑलिव आयल, और ओमेगा-3 युक्त भोजन के अधिक सेवन से उच्च रक्तचाप का स्तर नीचे लाने में मदद मिल सकती है। अंकुरित अथवा शत-प्रतिशत संपूर्ण अनाज खाने से भी लाभ होता है। सोडियम के उपभोग पर नियंत्रण रखें, जोकि सिर्फ सामान्य नमक या सब्जी में डाले गये नमक से ही नहीं मिलता। डिब्बाबंद भोज्य पदार्थों में नमक बहुत अधिक मात्रा में मौजूद रहता है।
इंडस हेल्थ प्लस के प्रीवेंटिव हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट अमोल नाइकवाडी ने कहा कि, ”दिल्ली में हाइपरटेंशन बढ़ रहा है। 29.4 फीसदी शहरी और 18.फीसदी ग्रामीण आबादी हाइपरटेंशन की शिकार है। शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोग बढ़ते तनाव और अंततः हाइपरटेंशन के लिये काम के दबाव और नौकरी की अनिश्चितता को दोषी मानते हैं। जबकि अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग बढ़ती कीमतों और बढ़ते घरेलू खर्च को इसका कारण मानते हैं। हाइपरटेंशन का समय रहते इलाज नहीं कराने से हृदयरोग होने और किडनी तथा दूसरे अंगों के नाकाम होने का खतरा हो सकता है। समय पर और नियमित रूप से इसकी जंाच करवाने से हाइपरटेंशन का खतरा कम हो सकता है।’’
उच्च रक्तचाप की संभावना आयु, लिंग, अनुवांषिक कारण और जातिगत कारणों से बढ़ जाती है।
जिन कारणो को नियंत्रित किया जा सकता है वो है मोटापा, नमक का सेवन, धूम्रपान, मानसिक तनाव, व्यायाम और मंदिरापान।
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के उपायः
⦁ कम नमक का सेवन
⦁ वजन कम करना
⦁ व्यायाम व शारीरिक परीश्रम
⦁ धूम्रपान बंद करना
⦁ मानसिक तनाव पर काबू
जन सामान्य को इस समस्या और इससे उत्पन्न होने वाली संभावित जटिलताओं से अवगत कराना। उन्हे रक्तचाप की नियमित जाँच के लाभ के बारे मे जागरुक करना अति आवश्यक है।