जनजीवन ब्य़ूरो / नयी दिल्लीः कालेधन पर शिकंजा कसने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार एनआरआर्इ पर नकेल कसने की तैयारी में है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग ने कुछ दिन पहले ही रिटर्न फॉर्म (आर्इटीआर-2) के प्रावधानों में बदलाव किया है. इस बदलाव के बाद अब भारत के बाहर रहने वाले प्रवासी भारतीयों को रिटर्न दाखिल करते समय उनके विदेशी खातों का ब्योरा उपलब्ध कराना होगा. आम तौर पर देखा यह जाता है कि प्रायः ज्यादातर प्रवासी भारतीय विदेशों में कुछ ही दिन बिताने के बाद शेयरों, अचल संपत्ति और निर्धारित आय पर छूट पाने के लिए भारत के बैंकों अथवा बॉन्ड्स में निवेश करते हैं.
बता दें कि भारत में फेमा कानूनों के तहत सभी एनआरआई को टैक्स नियमों में विशेष छूट मिलती है. भारत में रहने की अवधि के आधार पर आयकर विभाग रेसिडेंशियल स्टेटस तय करता है. फेमा नियमों में देखा यह जाता है कि किसी व्यक्ति का विदेश में रहने का मकसद क्या है. कोई कारोबारी अगर साल में 182 दिन से ज्यादा भारत में रहे, तो उसे यहां का निवासी माना जाता है आैर यदि वह इतने ही दिन विदेशों में रहता है, तो उसे एनआरआर्इ होने के नाते फेमा कानून के तहत टैक्स में छूट प्रदान की जाती है.
इसके साथ ही, यदि किसी व्यक्ति का सात साल में दो साल से ज्यादा भारत में रहने पर आरओआर का दर्जा मिलता है. बता दें की आरओआर की पूरी दुनिया की आय पर इनकम टैक्स लगता है. एनआरआर्इ की सिर्फ भारत में होने वाली आय पर टैक्स लगता है, जबकि उसकी भारत के बाहर से होने वाली आय पर टैक्स नहीं लगता. आरएनओआर के लिए टैक्स के नियम एनआरआई की तरह ही होते हैं.
खबर यह भी है कि इस साल की शुरुआत में ही आयकर विभाग की ओर से भारत से बाहर रहने वाले एनआरआर्इ, उनके विदेशी बैंक के खातों का नंबर, बैंकों के नाम, विदेशों में स्थित बैंकों के नाम, बैंकों की पहचान के लिए स्विफ्ट कोड आैर अंतरराष्ट्रीय बैंक खाता नंबरों की सूची तैयार की जा चुकी है.