अमलेंदु भूषण खां
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी की सरकार पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस ने राज्यों का रास्ता अपनाया है। भाजपा शासित राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्रियों पर राज्य का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुका है। बताया जाता है कि अन्य राज्यों के मुख्य मंत्री भी कांग्रेस के निशाने पर जल्द ही आएंगे।
फिलहाल झारखंड, गोवा, जम्मू – कश्मीर,हरियाणा की सरकार कांग्रेस के तीखे हमले से बची हुई है। लेकिन जल्द ही ये सरकारें भी आरोपों में घिर सकती हैं।
वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर करारी हार दी थी। भाजपा शासित राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियो पर कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के ही आरोप लगाए हैं। मामले ने काफी तूल भी पकड़ा है।
आईपीएल प्रमुख ललित मोदी के साथ अवैध कारोबार के आरोप में कांग्रेस राजस्थान की मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे को हटाने की मांग कर चुकी है। आज मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाने की मांग की है। शिवराज लगातार तीसरी बार राज्य के मुख्य मंत्री बने हैं। फिलहाल वह व्यापम घोटाले में विपक्ष के निशाने पर हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडनवीस उस समय विवादों में घिर गए जब उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी पंकजा मुंडे पर ठेके देने में भ्रष्टचार के आरोप लगे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह कांग्रेस के चावल घोटाले के आरोप का सामना कर रहे हैं।
यह गौर करने वाली बात है कि मोदी मंत्रिमंडल के सहयोगी सुषमा स्वराज और स्मृति ईरानी को विवादों में घेर कर कांग्रेस ने अपना ध्यान राज्यो पर केंद्रित कर लिया। सुषमा पर ललित मोदी की सहायता करने का आरोप है तो ईरानी पर अपनी शिक्षा को लेकर गलत जानकारी देने का आरोप है।
कांग्रेस की रणनीति है कि राज्य के मुख्यमंत्रियों पर दबाव बनाकर सुर्खियों में बने रहें और सितंबर-अक्तूबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में इसका लाभ ले सकें। भाजपा-लोजपा गठबंधन के खिलाफ कांग्रेस-जनता परिवार गठबंधन को इसी समीकरण के तहत देखा जा रहा है और इसे पाटलिपुत्र की लड़ाई की संज्ञा दी गई है।
साथ ही कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर कटघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस तर्क दे रही है कि भूमि राज्य से संबंधित मसला है इसलिए राज्यों की सहमति के बिना कोई कानून न बनाए जाएं। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने किसान समर्थक दिखने और मोदी सरकार को किसान विरोधी साबित करने की रणनीति बनाई है। यही कारण है कि जनता दल यू, तृणमूल कांग्रेस, सपा यहां तक की एआईएडीएमके ने भी भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में संशोधन का विरोध किया है। कांग्रेस का मानना है कि इसके जरिए पार्टी ग्रामीण और शहरी मतदाताओं से जुड़ सकती है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी घर खरीददारों तक के साथ बैठक कर चुके हैं ताकि मध्यम वर्ग में अपनी छवि बना सकें। उद्योग लगाने वालो के साथ बैठक कर राहुल यह संकेत दे चुके हैं कि वह उद्योग लगाने के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन किसी की रोजी रोटी छीनकर भी यह काम नहीं किया जा सकता।